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देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥ १२ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।
Salutations into the Goddess who may have the shape of root chants Who via the chant “Purpose” has the shape of your creator Who by the chant “Hreem” has the shape of 1 who takes care of every thing And who through the chant “Kleem” has the form of enthusiasm
గమనిక: శరన్నవరాత్రుల సందర్భంగా "శ్రీ లలితా స్తోత్రనిధి"
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः
सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर read more मुख करके कुश के आसन पर बैठें.
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
श्री दुर्गा अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
पाठ मात्रेण संसिद्धयेत् कुंजिका स्तोत्रमुत्तमम्।।
श्री अन्नपूर्णा अष्टोत्तर शतनामावलिः